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पारस पत्थर ….Story in hindi
आश्रम के मुख्य आचार्य ने जब ऐसा देखा तो उन्हें लगा की यदि रामू की यह आदत नही सुधारी गयी तो उसकी पूरी जिंदगी बर्वाद हो जायेगी। वह ऐसे ही अपना समय बर्वाद करता रहेगा ।
आचार्य ने रामू को सुधारने के लिए एक युक्ति सोची । एक दिन आचार्य ने रामू को बुलाया और उससे कहा बेटा ” आज मैं आश्रम से बाहर जा रहा हूँ। मैं तुम्हें पारस पत्थर देकर जा रहा हूँ। तुम चाहो जितना लोहे से इसको छुआ कर सोना बना सकते हो। मैं कल शाम तक लौट आऊँगा। अतः कल शाम तक का तुम्हारे पास समय है।”
ऐसा कहकर आचार्य ने एक कपड़े में बंधा पत्थर रामू को दे दिया और वो आश्रम से बाहर चले गए। रामू पत्थर को पाकर बहुत खुश हुआ। अब वह सोचने लगा कि ” अब में बहुत सारा लोहा खरीदूँगा और उसे सोना बना दूँगा। मेरे पास बहुत सारा धन होगा बहुत सारे नौकर चाकर होंगे।”
रामु ऐसा सोच सोच कर बहुत खुश हो रहा था। फिर उसने सोचा अभी तो कल तक का समय है। मैं कल सुबह ही जाकर लोहा खरीदूँगा और सोना बना लूँगा। ऐसे सोचते सोचे रामू ने अपना पहला दिन यूँही गुजार दिया।
दूसरे दिन रामु सुबह जल्दी उठा और सोचने लगा आज तो कुछ भी हो बाजार से लोहा लाकर उसे सोना बनाना है। पर अभी तो काफी समय है दोपहर को बाजार जाऊँगा। जैसे ही दोपहर होता है रामू खाना खाकर बाजार जाने के लिए तैयार होता । उसके बाद रामू फिर सोचने लगता है ” अभी तो शाम तक का समय है और अभी धूप भी काफी ज्यादा है और अभी अभी खाना भी खाया है थोड़ा सो लेता हूँ उसके बाद पक्का बाजार जाकर लोहा लाकर उसे सोना बना लूँगा।” ऐसा सोचकर रामू सो जाता है और जब उसकी नींद खुलती है तो वो घबरा जाता है ये क्या शाम हो गई। वह पत्थर लेकर बाजार की और दौड़ता है। पर जैसे ही आश्रम से निकलता है सामने आचार्य खड़े हुए दिखाई देते हैं। आचार्य रामू से बोलते हैं ” बेटा मेरा पारस पत्थर मुझे बापस करो।”
ऐसा सुनकर रामू रोते हुए बोला “गुरुदेव मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई मेरे पास पारस पत्थर था पर मैं ने समय बर्वाद कर दिया अपने आलसीपन के कारण।”
आचार्य ने कहा ” बेटा ये कोई पारस पत्थर नही है यह एक साधारण पत्थर है । पर जो तुम समय बर्वाद कर रहे हो वो जरूर पारस पत्थर है। ये वो समय है जिसका उपयोग कर तुम अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बदल सकते हो। तुम्हें इस बात का एहसास दिलाने के लिए ऐसा करना पड़ा।”
रामू ने आचार्य से हाथ जोड़कर कहा ” गुरुदेव आज मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया आज से मैं कभी भी समय को यूँ बर्वाद नही करूँगा।”
Moral of story :- समय ही पारस पत्थर है इसका सदुपयोग कर आप अपनी जिंदगी को सोना बना सकते हैं।