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रटो नही समझो / hindi story with moral
आश्रम था । जिसमें एक महाऋषि रहते थे। वो उस शांत वातावरण में घोर तपस्या करते थे। वो बहुत दयालु प्रकृति के थे और वन के पशु पक्षियों से उनका काफी लगाव था। एक दिन वो वन में घूम रहे थे तो उनको तोते के दो बच्चे दिखाई दिए जो काफी मासूम और शरीर से दुर्बल लग रहे थे । ऋषि को उन तोतों के बच्चे पर दया आ गई । तो ऋषि उन बच्चों को अपने आश्रम ले आये । ऋषि उन दोनों तोतों का बहुत अच्छी तरह से लालन पालन करने लगे। तोते के बच्चे भी ऋषि से बहुत प्यार करते जब भी उनको भूख लगती जोर जोर से चिल्लाते और ऋषि को आते देख प्रणाम बोलते । ऋषि भी यह देख बहुत खुश होते।
hindi story with moral
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जब तोते बड़े हो गए तो वो उड़कर वन में भी जाने लगे। वो जब तक वन से लौट कर आश्रम न आ जाते जब तक ऋषि को उनकी काफी चिंता रहती । जब तक उनका पूजा पाठ में बिलकुल भी मन नही लगता। उनको चिंता रहती की तोतों को कोई शिकारी न पकड़ ले। एक दिन ऋषि के मन में विचार आया की क्यों न तोतों को सीखा दिया जाये की शिकारी उनको पकड़ने आये तो वो शिकारी के जल में न फसें।
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अगले दिन ऋषि ने तोतों को पढ़ाना शुरू किया उन्होंने तोतों से बोला की बोलो ” बहेलिया ( शिकारी) आयेगा दाना डालेगा जाल बिछाएगा जाल में नही फसना।” तोते भी बोलने लगे “बहेलिया आयेगा दाना डालेगा जाल बिछाएगा जाल में नही फसना।” कुछ ही दिनों में तोतों ने यह वाक्य बहुत ही अच्छे से रट लिया वो जब भी ऋषि को देखते और चिल्लाने लगते ” बहेलिया आयेगा दाना डालेगा जाल बिछाएगा जाल में नही फसना।” ऋषि जब उन तोतों से यह सुनते तो उन्हें बहुत ख़ुशी होती की अब ये तोते शिकारी के जाल में नही फसेंगे। इस प्रकार ऋषि की सारी चिंता खत्म हो गई ।
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