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स्वयं की मदद करें story in hindi
बारिश के देवता इंद्र पूरी रात मुस्कुराते रहे थे। सड़कें कीचड़ से भरी थीं और गड्ढों को भी भर दिया गया था। आज बाजार का दिन था और किसान राजू सड़क पर अपनी गाड़ी चला रहा था। उसे जल्दी बाजार पहुंचना था ताकि वह अपना अनाज बेच सके। घोड़ों के लिए गीली मिट्टी में इतने भार को खींचना बहुत मुश्किल था। पर उफ़ अचानक घोड़ागाड़ी के पहिए कीचड़ में धँस गए।
घोड़े जितना खींचते थे, पहिया उतना ही गहरा फसते जा रहे थे। राजू अपनी घोड़ागाड़ी से नीचे उतर गया और अपनी गाड़ी के पास खड़ा हो गया। उसने चारों तरफ खोज की लेकिन उसकी मदद के लिए आसपास कोई नहीं मिला। अपनी बुरी किस्मत को कोसते हुए, वह निराश और पराजित दिख रहा था। वह पहिया पर नीचे उतरने और उसे खुद से ऊपर उठाने की थोड़ी सी भी कोशिश नहीं करता था। इसके बजाय, उसने जो कुछ हुआ उसके लिए अपनी किस्मत को कोसना शुरू कर दिया। आकाश की ओर देखते हुए, वह भगवान पर चिल्लाने लगा, “मैं बहुत बदकिस्मत हूँ! मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ है? हे भगवान, मेरी मदद करने के लिए नीचे आओ। ”
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भगवान राजू के सामने पेश हुए। उन्होंने राजू से पूछा, “क्या तुमको लगता है कि तुम गाड़ी को बस देखते रहे तो क्या ये स्वयं ही निकल जयेगी? जब तक तुम स्वयं अपनी मदद करने के लिए कुछ प्रयास नहीं करोगे, कोई भी तुम्हारी मदद नहीं करेगा। क्या तुमने पहिया को गड्ढे से बाहर निकालने की कोशिश की? उठो और अपने कंधे को पहिए पर रखो और धक्का दो जल्द ही गाड़ी इस कीचड़ से निकाल जायेगी।
राजू को खुद पर शर्म आ रही थी। वह नीचे झुका और अपने कंधे को पहिया पर रखा और घोड़ों को हांकना शुरू किया। कुछ ही समय में पहिया कीचड़ से निकल गया । राजू ने आज जीवन का बहुत अच्छा सबक सीखा। उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया और खुशी-खुशी अपनी यात्रा पर निकल पड़ा।
Moral of story: भगवान भी उन्हीं की मदद करता है जो स्वयं की मदद करते हैं।
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