हरिवंश राय प्रसिद्घ कविता/ harivansh ray poem

नमस्कार दोस्तों आज हम आपके लिए harivansh ray poem बीत गई सो बात गई ले कर आये है। उम्मीद है harvansh ray जी की ये kavita आपको काफी पसंद आएगी।

 

  1. harivansh ray bachchan poem

 

 

Poem harivansh ray bachchan

 

 

जीवन में एक सितारा था

माना वह बेहद प्यारा था

वह डूब गया तो डूब गया

अंबर के आंगन को देखो

कितने इसके तारे टूटे

कितने इसके प्यारे छूटे

जो छूट गए फिर कहाँ मिले

पर बोलो टूटे तारों पर

कब अंबर शोक मनाता है

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में वह था एक कुसुम

थे उस पर नित्य निछावर तुम

वह सूख गया तो सूख गया

मधुबन की छाती को देखो

सूखीं कितनी इसकी कलियाँ

मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ

जो मुरझाईं फिर कहाँ खिली

पर बोलो सूखे फूलों पर

कब मधुबन शोर मचाता है

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में मधु का प्याला था

तुमने तन मन दे डाला था

वह टूट गया तो टूट गया

मदिरालय का आँगन देखो

कितने प्याले हिल जाते हैं

गिर मिट्टी में मिल जाते हैं

जो गिरते हैं कब उठते हैं

पर बोलो टूटे प्यालों पर

कब मदिरालय पछताता है

जो बीत गई सो बात गई

मृदु मिट्टी के बने हुए

मधु घट फूटा ही करते हैं

लघु जीवन ले कर आए हैं

प्याले

टूटा

ही करते हैं

फ़िर भी मदिरालय के अन्दर

मधु के घट हैं, मधु प्याले हैं

जो मादकता के मारे हैं

वे मधु लूटा ही करते हैं

वह कच्चा पीने वाला है

जिसकी ममता घट प्यालों पर

जो सच्चे मधु से जला हुआ

कब रोता है चिल्लाता है

जो बीत गई सो बात गई

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