Table of Contents
Story in hindi with moral
Contents:-
- 11 hindi moral story
- 75 story in hindi with moral list
1. असली विजेता
Real winner
- ओलंपिक में भाग लेना ही एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है । लारेंस लेमिक्स ( Lawrence lemieux) ओलंपिक में नाव की रेस में बुरी तरह से फंस चुके एक प्रतियोगी की सहायता करने के लिए वो रुक जाते हैं। सारी दुनिया देख रही थी कि उन्होंने अपने जितने से ज्यादा एक जिंदगी को बचाने को ज्यादा अहमियत दी। हालांकि वो नोका दौड़ नही जीते फिर भी वो विजेता थे। कई देशों ने उन्हें सम्मानित किया गया।
- रुबेन gonzales रेकेटबॉल की विश्व championship के फाइनल मैच में खेल रहे थे। इस फाइनल खेल के मैच पॉइंट पर gonzeles ने एक बेहतरीन शॉट खेला। रैफरी और लाइंसमैन ने शॉट को सही बताते हुए , उन्हें विजेता घोषित कर दिया। थोड़े रुकने और हिचकिचाने के बाद gonzales ने अपने प्रतियोगी को हाथ मिलाते हुए कहा शॉट गलत था । इसका परिणाम ये हुआ कि वे सर्विस हार गए और मैच भी।
2.सब विजेता हैं
Every one a winner
3. क्या आपका जीवन बचाने लायक है?
Is your life worth saving
4. मिदास का स्पर्श
The Midas touch
राजा रोने लगा और बोलने लगा कि ” मेरी बेटी मुझ से छीन गई , मैं खा और पी भी नही सकता।” यह वरदान नही ये तो अभिशाप है ये यह सब मेरे लालच के कारण हुआ है।” उसी समय वह अजनबी फिर राजा के पास आता है और राजा से पूछता है कि ” क्या आप मेरे वरदान से खुश हैं? राजा ने रोते हुए कहा ” मैं इस वरदान के कारण दुनिया के सबसे अभागा व्यक्ति बन गया हूँ।” अजनबी ने कहा ” अब बताओ तुम्हे क्या चाहिए अपनी बेटी और भोजन या फिर सोना और सोने की बनी बेटी।” राजा मिदास ने गिड़गिड़ाकर कहा ” मुझे अपनी बेटी और पुराना जीवन ही चाहिए ये सोना और ये जीवन सब मेरे लिए मूल्यहीन हैं।” उस अजनबी ने अपना वरदान बापस ले लिया। राजा को अपनी बेटी बापस मिल गई और एक सबक भी जिसे वि जिंदगी भर नही भूल सका।
5. एक पिल्ला
A pappy
एक बच्चा पालतू जानवर की दुकान में एक पिल्ला खरीदने के लिए गया। वहाँ पर कई सारे पिल्ले बैठे हुए थे। हर एक पिल्ले की कीमत 50 डॉलर थी । एक पिल्ला सबसे अलग एक कोने में बैठा था। बच्चे ने उस पिल्ले की और इशारा करते हुए पूछा कि ” क्या ये पिल्ला बिकाऊ है और ये सबसे अलग क्यों बैठा है? दुकानदार ने जवाब दिया ” यह एक अपाहिज पिल्ला है ये बिकाऊ नही है।”
बच्चे ने फिर पूछा ” इस पिल्ले को क्या हुआ है और आप अब इसका क्या करोगे? दुकानदार ने कहा ” इस पिल्ले की एक पैर खराब हो गया है इस अब मौत की नींद सुला दिया जायेगा।” बच्चे ने पूछा की क्या वह अभी उस पिल्ले के साथ खेल सकता है । दुकानदार ने कहा ” हाँ तुम खेल सकते है।” बच्चे ने उस पिल्ले को अपनी गोद मे उठाया तो वह पिल्ला उस बच्चे को चाटने लगा। उस बच्चे ने निर्णय कर लिया की वह इस पिल्ले को खरीदेगा। पर दुकानदार ने कहा ” यह एक अपाहिज पिल्ला है ये बिकाऊ नही है।” पर वः छोटा बच्चा जिद करने लगा तो दुकानदार मन गया।
उस बच्चे ने दुकानदार को 2 डॉलर दिए बाकि 48 डॉलर लेने के लिए अपने घर की और दौड़ा अभी वह दुकान से बाहर ही निकलने वाला था कि दुकानदार ने चिल्लाकर पूछा ” मुझे समझ नही आ रहा की तुम इतने डॉलर में एक अच्छा पिल्ला खरीद सकते हो फिर भी इस अपाहिज पिल्ले को क्यों खरीदना चाहते हो।” लड़के ने कुछ जवाब नही दिया बस मुस्कुराया और अपनी पेंट को ऊंचा किया तो उसकी एक टांग में उसने ब्रेस पहन रखी थी उसका भी एक पैर ख़राब था। दुकानदार ने यह देखकर कहा ” मैं अब समझ गया कि तुम इस अपाहिज पिल्ले को ही क्यों खरीदना चाहते हो।”
Moral of story :- मोरल ऑफ़ स्टोरी यह है कि आप किसी व्यक्ति की परेशानी को तभी अच्छे से समझ सकते हैं जब अब भी उसी परेशानी से गुजरें हों।
6. मुझे पता था तुम जरूर आओगे
I knew that you would come
7. मुँह से निकले शब्द बापस नही आते
यह story in hindi with moral है जो एक शिक्षाप्रद कहानी है। एक किसान का अपने पड़ोसी से कुछ बात को लेकर झगड़ा हो जाता है। किसान अपने पड़ोसी को बहुत ज्यादा अपशब्द बोल देता है। कुछ समय बाद किसान को अहसास हुआ कि उसने अपने पडोसी के साथ बुरा व्यवहार किया है। इसका पश्चाताप करने के लिए वह एक पादरी के पास जाता है और पादरी से कहा ” मैंने अपने पड़ोसी को बहुत अपशब्द बोलें है मैं अपनी व्यवहार से दुखी हूँ और इसके लिए क्षमा मांगने आया हूँ। पादरी ने कहा ठीक है ” ये पंख लो और इन्हें शहर के बीचों बीच बिखेर का आजाओ।” किसान ने ऐसा ही किया कुछ समय पश्चात पादरी ने किसान को एक थैला देते हुए कहा ” जाओ और उन सारे पंखों को इस थैले में भर कर ले आओ।” किसान जब शहर के बीचों बीच पहुंचा तो सारे पंख यहाँ वहाँ उड़ चुके थे किसान ने उन्हें इकठ्ठा करने की बहुत कोशिश की पर वह नाकाम रहा । किसान खली थैला लेकर पादरी के पास पहुंचा और कहा ” मैंने बहुत कोशिश की फिर भी सारे पंखों को एकत्रित नही कर पाया।” पादरी ने कहा ” शब्द भी इन पंखों के समान ही होते हैं एक बार निकल गए तो दुबारा बापस नही आते इसलिए शब्दों को बहुत सोच समझकर बोलना चाहिए।”
Moral of story :- मोरल ऑफ़ स्टोरी यह है कि हमें अपने शब्दों का चयन बहुत सावधानी पूर्वक करना चाहिए। क्योंकि कोई आपके गलत बोले गये शब्दों के लिए आपको माफ़ तो कर सकता है । पर उन शब्दों को कभी नही भूल।सकता।
8. केंकड़े मोरल स्टोरी इन हिंदी
9. मदद
10. भौंरा
Comfort जोन से बाहर निकलें moral story in hindi
Comfort जोन से बाहर कैसे निकल ? Comfort zone के क्या नुकसान हैं? इस प्रकार के सभी सवालों का जवाब देती है यह moral story in hindi। एक बार एक साधु अपने शिष्य के साथ घूमने के लिए निकले। चलते चलते उन्हें एक जंगल में शाम हो गई। साधु महाराज ने अपने शिष्य से कहा कि ” वत्स शाम हो गई है आज की रात हमें इसी जंगल में गुजारनी होगी। जाकर देखो कहीं कोई आज रात गुजारने की जगह मिल जाये।” शिष्य अपने गुरु की आज्ञा पाकर आश्रय की तलाश करने लगा । तभी उसे एक झोपड़ी दिखाई दी । शिष्य अपने गुरु को लेकर उस झोपडी में पँहुचा। दरवाजा खटखटाया तो एक व्यक्ति उस झोपडी से बहार आया। जैसे ही उसने देखा कि एक साधु महाराज उसके घर के सामने खड़े हैं। उसने शीघ्रता से साधु के चरण छूते हुए कहा ” आज तो मेरे भाग्य ही खुल गए जो आप मुझ गरीब के यहाँ पधारे।”
साधु ने उस व्यक्ति को आशीर्वाद देते हुए कहा ” बेटा क्या हमको आज रात गुजारने के लिए यहाँ थोड़ी सी जगह मिल सकती है। सुबह होते ही हम यहाँ से चले जायेंगे।” व्यक्ति ने प्रसन्न होकर कहा ” महाराज आप इसे अपना ही घर समझें।” उस व्यक्ति ने साधु महाराज का बहुत स्वागत किया अच्छा भोजन करवाया। साधु महाराज ने कहा ” बेटा मैं तुम्हारे इस अतिथि सत्कार से बहुत प्रसन्न हुआ।” साधु ने आगे कहा ” बेटा तुम इस वीरान जंगल में कैसे जीवन निर्वाह करते हो।” उस व्यक्ति ने कहा ” महाराज मेरे पास एक भैंस है बस उसके ही दूध से जीवन निर्वाह होता है। जो मेरे पास जमीन है उसमें भैंसे के लिए चारा उगाता हूँ। मैं और मेरा परिवार इससे बहुत खुश हूँ।” साधु ने कहा ठीक है अब हम आराम करते है तुम भी सो जाओ। जब वह व्यक्ति और उसका पूरा परिवार गहन निंद्रा मे सो गया तो साधु ने अपने शिष्य से कहा चलो अब यहाँ से चलते हैं। एक काम करो ये जो जड़ी मैं तुम को देता हूँ । उसे तुम भैंस को खिला दो शिष्य ने वैसा ही किया जड़ी बूटी भैंस को खिला दी।
जब वो लोग जंगल से बाहर निकले तो शिष्य ने साधु से पूछा कि आखिर वो जड़ी बूटी किस कार्य के लिए थी और भैंस को क्यों खिलाई? साधु ने कहा ” वह जड़ी जहर का कार्य करती है। उसको खा कर भैंस मर जायेगी।” यह सुनकर शिष्य गुस्सा करते हुए अपने गुरु से बोला ” उसने हमारा इतना सत्कार किया और अपने उसकी आजीविका उस भैंस को मार दिया। आप बहुत ही निर्दयी हो।” साधु ने कुछ जवाब नही दिया।
बहुत वर्ष बीत गए एक दिन साधु ने अपने उसी शिष्य से कहा “चला आज हम उस व्यक्ति के पास चलते हैं । जिसकी भैंस को हमने मार दिया था।” शिष्य ने जवाब दिया ” हमने उसकी आजीविका को खत्म कर दिया था। मेरे हिसाब से शायद अब वो जीवित भी नही होगा।” फिर भी चलकर देखते हैं कि उसका क्या हुआ। जब साधु और उसका शिष्य उसी जगह पर पहुँचते हैं तो देखते हैं कि अब झोपडी की जगह ये बहुत ही सुंदर घर बना हुआ था चारों तरफ फसल लहरा रही थी। जब इन दोनों ने दरवाजा घटघटाया तो वही व्यक्ति बाहर निकाल उसने साधु को देखते ही उनके चरणों में गिर गया। शिष्य को बहुत आश्चर्य हो रहा था उसने पूछा ” पहले ये बताओ कि तुमने इतनी तरक्की कैसें कर ली।” उस व्यक्ति ने कहा ” ये तो सब इन साधु महाराज की कृपा है । जिस दिन आप हमारे घर से गये थे उसी दिन हमारी भैंस मर गई। हमारे पास जीविका का कोई साधन नही था इसलिए हमने हमारे खेतों को साफ कर उनमें फसल बोना शुरू कर दिया। और उससे बहुत आमदनी हुई।” शिष्य को अभी भी कुछ समझ नही आ रहा था।
साधु ने अपने शिष्य को असमंजस में पड़े देख कहा मैं समझाता हूँ ” यदि इस व्यक्ति की भैंस न मरी होती तो यह अब भी उस भैंस को ही चरा रहा होता। और इसके खेतों में फसल की जगह चारा होता। यह अपनी भैंस के अलावा कुछ नही सोचता था वह भैंसे ही इसकी प्रगति में बाधक थी। इसलिए हमने उस भैंस को मार दिया। जिसके परिणाम तुम देख ही रहे हो।”
Moral of story :- मोरल ऑफ़ स्टोरी यह है कि आपके जीवन में comfort zone ही वह भैंस है जो तुम्हें आगे बढ़ने से रोक रही है। यदि जीवन में कुछ अलग कर के दिखाना है तो comfort zone रूपी इस भैंस को मारना ही होगा।
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