दोस्ती और सीख: भालू की कहानी से जुड़े दिलचस्प सबक
यह कहानी है दोस्ती और सीख के बारे में। एक समय की बात हैं। एक गांव में राजू और रंजन नाम के दो मित्र रहते थे। एक दिन वे दोनो किसी काम से दूसरे गांव जा रहे थे। जिस गांव में वे जा रहे थे वो रास्ता एक घने जंगल से होकर जाता था।
गरमी का दिन था, जैसे ही वे लोग कुछ दूर गए, तो उन्हें थकान होने लेगी। और वे एक पेड़ के निचे बैठ कर आराम करने लगे। वे थोड़ी देर आराम ही किये थे की उन्हें सामने से एक भालू आता दिखाई दिया।
कहानी
राजू पेड़ पर चढ़ना जानता था। भालू को नजदीक आते देख वह रंजन को नीचे छोड़कर झट से एक घने पेड़ पर चढ़ गया और पतों के बीच में छुप गया।
रंजन पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था। वह घबराकर राजू को पुकारने लगा – भाई, मेरी भी मदद कर, मुझे पेड़ पर चढ़ना नहीं आता है, नहीं तो यह भालू मुझे मार डालेगा।
राजू ने कहा – भाई शास्त्रों में कहा गया है कि विपत्ति काल में अपने प्राणों की रक्षा स्वयं करनी चाहिए। इसलिए भाई इस समय मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता। और तुम भी अपनी रक्षा स्वयं करो।
भालू धीरे-धीरे उन लोगों के नजदीक आ ही रहा था कि तभी रंजन ने सोचा की अगर मैं यहां से भागता हूं तो भालू कैसे भी करके मुझे पकड़ लेगा और मुझे मार डालेगा।
फिर उसे याद आया कि वह कहीं पढ़ा था कि भालू कभी मृत शरीर को नहीं खाते। इसलिए उसने जल्दी से वहीं जमीन पर लेट गया और अपने एक आँख से उसे देखने लगा।
जैसे ही भालू उसके नजदीक आया तो रंजन ने अपनी सांस रोक ली। भालू उसके पास आया और उसके शरीर को सूंघने लगा। फिर उसने रंजन के कानों के पास गया और उसके सास का पता करने लगा की, इसके सांसे चल रही है कि नहीं।
रंजन ने अपनी सांस रोक कर रखी थी इसलिए भालू को कुछ पता नहीं चला और वह रंजन को बिना कुछ किये चुपचाप दूसरे रास्ते में चला गया। रंजन बहुत डरा हुआ था। जैसे ही भालू वहां से गया वह खुश होकर उठकर खड़ा हो गया।
तभी राजू भी पेड़ से उतरकर नीचे आया और खुश होकर रंजन से पूछा – भाई उस भालू ने तुम्हें कैसे छोड़ दिया। रंजन ने राजू पर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोला- भालू को मुझ पर दया आ गई, मैं उससे डर कर जमीन पर जो लेट गया था।
फिर राजू ने पूछा- वह तुम्हारे कान में क्या कर रहा था। तब उसने कहा की जो बुरे समय में साथ नहीं देता हैं वह बहुत बड़ा विश्वास घाती होता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति के संग कभी नहीं रहना चाहिए। इसलिए भाई, मैंने भालू की दोस्ती और सीख वाली बात मान लिया है।
अब मेरी और तुम्हारी मित्रता यहीं पर खत्म होती हैं। अब मैं तुम्हारे साथ कभी नहीं रह सकता। इतना कह कर रंजन अपने घर की ओर चल दिया और पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। राजू का शर्म के मारे सर नीचे झुक गया। इसलिए कहा गया है कि जो बुरे समय में साथ देता हैं। वही सच्चा मित्र होता है।
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