कर भला तो हो भला 3 प्रेरक कहानियाँ – Kar Bhala To Ho Bhala

बहुत ही पुरानी कहावत है, “कर भला तो हो भला”। ये तो हर कोई जनता है कि हम दुसरो के साथ जैसा व्यवहार करते है, सामने वाला भी हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करता है। आज हम आपको कुछ कहानियाँ सुनाने जा रहे है। जिससे ये पता चलता है कि, आखिर ऐसा क्यों कहा गया है।

कर भला तो हो भला के ऊपर 3 प्रेरक कहानियाँ।

1 . मोहन की भलाई का फल।

एक दिन मोहन अपना काम खतम कर के अपने घर जा रहा था। घर जाने से पहले वो हमेशा होटल में ही खाना खाता था। एक दिन वो खाना खाने के लिए होटल में बैठा और खाना आर्डर किया, और खाना उसके टेबल में आ गया। और जैसे ही वो खाना खाने ही वाला था, वैसे ही उसे होटल के बहार एक छोटी बच्ची दिखाई दी।

जो उसके खाने को बड़ी उम्मीद से देखे जा रही थी कि, काश उसे भी वो खाना खाने को मिले। पर बच्ची बहुत गरीब थी, वो बस उम्मीद ही कर सकती थी। तभी मोहन समझ गया कि बच्ची को भूख लगी है।

मोहन ने बच्ची को अंदर बुलाया और उससे पूछा। क्या चाहिए बेटा ? बच्ची ने खाने कि तरफ ऊँगली से इशारा किया। तो मोहन ने अपनी खाने कि थाली उस बच्ची को दे दी, फिर बच्ची ने आराम से खाना खाया और वहाँ से चली गई।

अब मोहन को भी भूख लगी थी, पर उसके पास ज्यादा पैसे नहीं थे कि वो अपने लिए दुबारा खाना आर्डर कर सके। इसलिए उसने खाने का बिल मंगवाया। जब होटल वालो ने उसे बिल दिया तो, मोहन देख के दंग रह गया क्यों कि, उस कागज में लिखा था। माफ़ करिये श्री मान हमारे पास इंसानियत का बिल बताने वाली मशीन ही नहीं है।

2 . चींटी और कबूतर ( कर भला तो हो भला )

एक जंगल में एक कबूतर रहता था। जिस पेड़ में वो रहता था, वहा पास में ही एक चींटी अपने साथियो के साथ रहती थी। चींटी और कबूतर दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन अचानक तेज बारिश कि वजह से वो चींटी बहते हुए पास के नदी में चली गई।

अपने बचने का असफल प्रयास करने लगी, ऐसा करते हुए उसे उसके दोस्त कबूतर ने देख लिया। कबूतर तुरंत पेड़ के एक पत्ता तोड़ के चींटी के पास फेक दिया।

चींटी तुरंत ही उस पत्ते में बैठ गई, फिर कबूतर ने उस पत्ते को अपनी चोंच में दबा के उड़ गया। और चींटी को सुरक्षित स्थान पे ले गया और उस चींटी कि जान बचाई।

कुछ दिन बीत जाने के बाद उस जंगल में एक शिकारी आया। शिकार कि तलाश में वो इधर – उधर देख ही रहा था। तभी उसकी नजर पेड़ पे बैठे उस कबूतर पे पड़ी। कबूतर उस समय सो रहा था, इस कारन वो शिकारी को देख नहीं पाया।

शिकारी ने तुरंत अपना तीर-धनुष निकला और कबूतर के ऊपर निशाना साधने लगा। ऐसा करते हुए चींटी ने शिकारी को देख लिया। चींटी ने भी निश्चय किया कि कबूतर ने उसकी जान बचाई थी, अब मुझे अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े पर मै कबूतर की जान जरूर बचाऊंगी। चींटी भी तुरंत शिकारी के पास पहुंच गई।

और शिकारी के ऊपर चढ़ के उसके गले में जोर से काट लिया। शिकारी का निशाना चूक गया, और तीर कबूतर के बगल से निकल गया जिससे कबूतर को पता चल गया और वो वहा से उड़ गया। इस तरह कबूतर कि भलाई का फल उसे मिल गया। इसलिए कहा जाता है कर भला तो हो भला।

3 . गुलाम द्वारा की गई भलाई का फल

कर भला तो हो भला के ऊपर ये बहुत ही प्रचलित कहानी है। काफी समय पहले की बात है। जब गुलाम खरीदे और बेचे जाते थे। उस समय एक निर्दयी राजा था। वो अपने गुलामो पे बहुत अत्याचार करता था। उसके पास कई सारे गुलाम थे। वो बात – बात पे अपने गुलामो पे कोड़े बरसता था, उन्हें भूखा रखता था।

इस तरह की जिंदगी से परेशान हो के एक गुलाम रात में मौका मिलते ही वहा से भाग गया। रात भर भागते-भागते वो एक जंगल में पहुंच गया। अब उसने सोचा यही सही जगह है, जहा कोई उसे ढूंढ नहीं पायेगा।

क्यों की वो जनता था कि, पकडे जाने पे उसे मृत्यु दंड मिलेगा। वो उसी जंगल में अपनी जिंदगी बिताने लगा। एक दिन जब वो जंगल में घूम रहा था। तभी उसे एक शेर दिखा, गुलाम डर गया कि अब तो शेर उसे मार देगा।

पर शेर उसे देख के हल्का सा गुर्राया और अपना एक पंजा उसके तरफ उठाया। गुलाम ने देखा उस पंजे में एक बड़ा सा काटा चुभा हुआ है। ऐसा लग रहा था, मानो शेर गुलाम को उम्मीद भरी नजरो से देख रहा हो कि गुलाम उसका कांटा निकाल दे।

गुलाम को डर भी लग रहा था। फिर भी वो शेर की पीड़ा को देखते हुए आगे बढ़ा, और शेर के पंजे से कांटा निकाल दिया। शेर ने उसके तरफ देखा और चुपचाप वहा से चला गया।

काफी दिन बीत जाने के बात उस निर्दयी राजा के सिपाही, उसी जंगल में शिकार के लिए आये, तब उन्होंने वहा उस गुलाम के देख लिया। और उसे पकड़ के राजा के पास ले गए।

फिर राजा ने गुलाम को सजा के तौर पे उसे भूखे शेर के सामने छोड़ने का हुक्म दिया। अगले ही दिन उसे एक बाड़े में ले गए जहा चारो तरफ लोग मौजूद थे। और राजा ऊपर अपने सिहांसन पे बैठा था।

कुछ ही देर में उस बाड़े में एक शेर को छोड़ दिया गया। शेर दहाड़ता हुआ उस गुलाम की ओर दौड़ा, मगर गुलाम के पास पहुंच के वो शेर रुक गया, और गुलाम को देख के उसके पास आराम से बैठ के उसे चाटने लगा।

गुलाम समझ चुका था कि, ये वही शेर है, जिसकी मदद गुलाम ने की थी। फिर गुलाम भी उस शेर के पीठ पे अपना हाँथ फेरना चालू कर दिया। ये सब देख के वहाँ के लोग आश्चर्यचकित हो गए। तब राजा ने उस गुलाम को अपने पास बुलाया और उससे ये सब का राज पूछा।

गुलाम ने सारा किस्सा राजा को बताया। ये सब सुन के राजा ने कहा जब अपने ऊपर किये गए अहसान का बदला ये जानवर हो के चुका सकता है फिर हम तो इंसान है। हमे शेर से शीख लेनी चाहिए। इसके बाद राजा ने उस गुलाम को बहुत सारा पैसा दे के आजाद कर दिया। और बाकी गुलामो के साथ भी अच्छा व्यवहार करने लगा।

सारांश – दोस्तों inhindistory.com के द्वारा ये कहानियाँ सुनाने के पीछे हमारा बस यही उद्देश्य था कि, परिस्तिथि कैसी भी क्यों न हो । जितना हो सके हमे दुसरो कि मदद जरूर करनी चाहिए । इसलिए कहा जाता है कि “कर भला तो हो भला “.

कर भला तो हो भला के ऊपर ये कहानियाँ कैसी लगी comment कर के हमे जरूर बताये ।

Leave a Comment