Bujhe To Bujhe Lal Bujhakkad Ki Kahani – बुझे तो बुझे लालबुझक्कड़

यह एक ( Bujhe To Bujhe Lal Bujhakkad Ki Kahani ) की कहानी है। बुझे तो बुझे लालबूझक्कड़ उस आदमी को कहते हैं, जो हर समस्या का हल अनोखे ढंग से निकलता हैं सभी प्रश्नों का उत्तर उसके पास होता हैं भले ही वह उसके उत्तर वास्तविकता से परे हो। उसे किसी भी समस्या का हल पता हो या ना हो, पर वह उसका हल जरूर बताएगा, चाहे वो सही हो या ना हो।

Bujhe To Bujhe Lal Bujhakkad Ka Arth

“लालबुझक्कड़” का अर्थ है एक व्यक्ति जो बहुत ही मूर्खतापूर्ण और अज्ञानी होता है। वह वास्तविकता को समझने में असमर्थ होता है और बातों को भटकाकर अपनी अनुमानों पर ज्यादा चलता है।

समस्याओं का समाधान करने में वह विफल होता है और बिना मतलब की बातों से लोग को समस्या का समाधान बताने की कोशिस करता है। उसका व्यवहार असमझदार और अनदेखा होता है, जिससे उसकी अज्ञानता का प्रतीक बनता है।

इसलिए, ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत होती है। क्यों की वो लोग किसी भी समस्या का हल, बिना सिर पैर वाली बातो से करते है जिनका कोई भी मतलब नहीं होता है।

Bujhe To Bujhe Lal Bujhakkad Ki Kahani

यह कहानी बहुत साल पहले की हैं। एक भानपुर नाम का गांव था। उस गांव के लोग मछली खाने के बहुत शौक़ीन थे। इसलिए उन्होंने अपने गांव में एक बहुत बड़ा सा तालाब बनवाया था। और उसमे बहुत सारी मच्छलिया डाल दिए थे।

एक दिन दोपहर में, एक सूअर कही से आकर उस तालाब में घुस गया और तालाब में लोट लोट के मजे करने लगा। दूसरे दिन जब गांव वाले उस तालाब में मछली पकड़ने के लिए गए, तो उन्हें यह सूअर दिखा।

उस गांव के लोग कभी भी कोई सूअर नहीं देखे थे। जब उन्होंने सूअर को देखा तो एकदम से चौक गए। वे सोचने लगे की ये कौन सा जानवर हैं। बहुत सोचने पर भी ये तय नहीं कर पाए की वह क्या चीज हैं।

अंत में उनलोगों ने उसे राजा के पास ले जाने का फैसला किया। और फिर उसे जाल में अच्छे से बांधकर, दरबार में राजा के सामने ले गए। राज दरबार लगा हुआ था। सारे मंत्री गण बैठे हुए थे। और उसमे कुछ पंडित भी शामिल थे।

मछआरों ने इस सूअर को लाकर राजा के सामने खड़ा किया और उसे पकड़ने की सारी कहानी सुनाई। राजा ने भी कभी सूअर नहीं देखा था। वे भी उसे देख कर चौक गए, की ये कौन सा जानवर जो की आजतक मैंने नहीं देखा।

उन्होंने अपने मंत्रियों से पूछा। तुमलोग बताओ की ये कौन सा जानवर हैं। एक मंत्री ने उसे बहुत अच्छे से सोच विचार कर कहा – महाराज यह एक हाथी हैं। क्यों की पहले यह विशाल हाथी था। फिर घिसते घिसते छोटा हो गया।

राजा ने फिर पंडितो से पूछा की इस बात पर उनकी क्या राय हैं। पंडितो ने कहा – महाराज यह एक चूहें की जाति हैं पहले यह छोटा चूहा था बढ़ते बढ़ते यह इतना बड़ा हो गया हैं। की अब इसे सारे चूहें अपना राजा मानते हैं।

राजा ने बोला की ठीक हैं आप सब अपनी अपनी राय तो दे दिए हैं लेकिन मैं ये नहीं समझ पाया हूँ की ये हाथी और चूहा कैसे हैं कोई और जानवर क्यों नहीं। इसके बारे में आप लोग मुझे समझाइये।

मंत्रियो ने कहा – देखिये महाराज, हाथी की तरह इसके भी मुँह से दो दांत निकले हुए हैं। इससे यह साबित होता हैं की यह एक छोटा हाथी हैं।तभी पंडितो ने कहा – नहीं महाराज, इसके कान चूहें को तरह हैं और पैर हाथी की तरह न होकर के चूहें की तरह हैं।

इससे साफ साफ साबित होता हैं की यह चूहें की जाति का हैं। जब दोनों पक्ष अपनी अपनी बात पर अड़े रहे और कोई सही निर्णय न हो सका तो राजा ने पंडित लालबुझक्कड़ को बुलाने का आदेश दिया।

लालबुझक्कड़ को राज दरबार में बुलाया गया। उन्होंने उस सूअर को बहुत अच्छे से देखा और राजा से कहा – महाराज, इनलोगों का उत्तर सही नहीं हैं, इसकी पहचान करने की सही तरीका यह हैं की इसे उसी तालाब मे छोड़ दिया जाये जहाँ हमलोग मच्छलिया पालते हैं।

यदि यह पानी में तैरने लगता हैं तब यह मछली हैं, और यदि यह उड़ जाता हैं तो यह बगुला हैं। और यदि यह पानी से बाहर निकल कर जमीन पर आ जाता हैं तो यह एक जमीन पर चलने वाला कछुआ माना जायेगा। उनकी बात सुनकर राजा और राज दरबार में बैठे सभी लोग ख़ुश हो गए और लालबुझक्कड़ की ताली बजाकर उसका सम्मान करने लगे।

इसी प्रकार फिर उस गांव में एक बार, रात के समय एक हाथी आया। सुबह जब गांव के लोग अपने अपने घर से खेतो में काम करने के लिए निकले तो देखा की जमीन पर एक बहुत बड़ा किसी के पैर के निशान था।

उसे देख कर गांव के लोग डर गए, की हमारे गांव में कोई राक्षस तो नहीं आ गया हैं। क्योंकि उनलोगों ने कभी इतना बड़ा पैर का निशान पहले कभी नहीं देखा था। वे लोग अपना सारा काम धाम छोड़ कर राजा के पास गए।

राजा से कहा, की महाराज लगता हैं हमारे गांव में कोई राक्षस आ गया हैं। हमलोग ने उसके बड़े बड़े पैरो के निशान देखे हैं। राजा तुरंत उस पैर के निशान को देखने के लिए अपने मंत्रियों को साथ लेकर चल दिए।

जब राजा और उनके मंत्री वहाँ गए तो उस निशान को देख कर डर गए। उन्होंने बहुत कोशिश की उस पैर के निशान को पहचानने की, लेकिन न राजा और ना उनके मंत्री ही समझ पाए की ये किस जानवर के पैर का निशान हैं।

अंत में लालबुझकड़ को बुलाया गया। लालबुझक्कड़ आया और उस निशान को देख कर बताया की देखिये आपलोग डरिये मत! मुझे लगता हैं की रात के समय में कोई जानवर अपने पैर में चक्की बांधकर इस रास्ते से गया होगा उसी का ये निशान हैं।

उसकी बात सुनकर फिर से सब एक बार उसकी प्रशंसा करने लगे और फिर वे वापस अपने अपने घर चले गए। लालबुझक्कड़ इसी तरह ने निर्णय करनेवाले होते हैं, और समाज में चर्चा के विषय बने रहते हैं।

अवलोकन – inhindistory.com के द्वारा बताई गई, बुझे तो बुझे लालबुझक्कड़ ( Bujhe To Bujhe Lal Bujhakkad Ki Kahani ) की कहानी आपको कैसी लगी हमें comment कर के जरूर बताये।

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