यह कहानी है एक थी डायन, ( Ek Thi Daayan ) के बारे में। माधोपुर नाम का एक गांव था। उस गांव में एक अजय और पार्वती नाम के पति पत्नी रहते थे।
अजय सरकारी नौकरी करता था। एक दिन की बात हैं। गर्मी का समय था। अजय ऑफिस का काम खत्म करके रोज की तरह ऑफिस से घर वापस जा रहा रहा था।
रास्ते में एक बाजार पड़ता था, तो उसने सोचा की घर जाते जाते कुछ सब्जी लेते चलू। तो उसे वहाँ खूब ताजी ताजी मछली दिखी और उसे खरीद लिया। इसके अलावा और कुछ कुछ सामान लेने लगा।
Ek Thi Daayan
सामान लेते लेते उसे समय का पता ही नहीं चला। काफ़ी अंधेरा हो चूका था। घर थोड़ा दूर था तो वह सोचा की सीधे सीधे रास्ते से जाऊंगा तो और काफ़ी रात हो जायेगी। इसलिए आज जंगल के रास्ते से जाता हूँ जल्दी पहुंच जाऊंगा।
वह जंगल की ओर अपनी गाड़ी घुमा लिया। काफ़ी अंधेरा हो चूका था, और अजय तेज गति से गाड़ी चला रहा था। थोड़ी देर बाद उसके गाड़ी के सामने एक औरत आ गई और अजय झटके से ब्रेक मारते हुए गाडी को रोका।
अजय उस औरत को देखा। वह औरत बड़ी सी घूँघट डाल रखी थी। और जोर जोर से रो रही थी। अजय उससे पूछा की कौन हो तुम ? और तुम्हारा घर कहा हैं, इतनी रात को इस घने जंगल में क्या कर रही हो।
लेकिन वह अजय के कोई भी सवाल का जवाब नहीं दे रही थी और बस रोये जा रही थी। उसके रोने से ऐसा लग रहा था की पुरा जंगल ही गूंज रहा हैं। अजय ने सोचा कि शायद किसी मजदूर की पत्नी होंगी जो रास्ता भटक गयी हैं।
रास्ता बहुत ही सुनसान था इसलिए उसने सोचा की इस औरत की मदद किया जाये। फिर अजय ने बोला की तुम मेरे साथ मेरे घर चलो। सुबह होते ही तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ दूंगा।
वह अजय के साथ घर चलने के लिए तैयार हो गई, और गाड़ी के पीछे बैठ गई। रीती रीवाज के कारण उसने अपने सिर पर घूँघट डाल रखा था। जिसकी वजह से उसका चेहरा छुपा हुआ था। काफ़ी रात हो गया था तो घर पर अजय की पत्नी उसका इंतजार कर रही थी।
जैसे ही घर के बाहर गाड़ी की आवाज सुनाई दिया वैसे ही पार्वती दौड़ कर बाहर आयी। उसने अजय के साथ एक औरत को देखा तो उसने अजय से पूछने लगी की ये कौन जो तुम्हारे साथ आयी हैं।
अजय ने सारी कहानी पार्वती को बताया। पार्वती की तबियत थोड़ी ख़राब थी इसलिए वह खाना नहीं बना पाई थी। तो अजय ने बोला – तुम आराम करो। आज का खाना यही बना देगी। लेकिन पार्वती को उस औरत पर शक हो गया था।
उसे लगा की ये कोई साधारण औरत तो लग नहीं रही हैं, शायद यह कोई चोरनी होगी, जो चालाकी से घर का सामान चुराने आयी हैं। पार्वती ने इसे अपना रसोई घर दिखाया और बोली मौसम बहुत ख़राब हो रहा हैं, तुम जल्दी से खाना बना लो।(Ek Thi Daayan)
इतना बोल के पार्वती अपने कमरे में चली गयी। और वह औरत बिना कुछ बोले रसोई में चली गई। थोड़ी देर बाद रसोई में से बहुत ही अजीब अजीब आवाजे अने लगी।
पार्वती उस आवाज को सुन कर सोचने लगी की ये कैसी आवाज आ रही हैं। फिर उसने सोचा शायद मौसम ख़राब हैं इसके वजह से आ रही होंगी। लेकिन उस औरत को लेकर उसका मन अभी भी शांत नहीं था।
जब पार्वती 20 मिनट बाद दुबारा रसोई में गयी तो देखी की वो औरत अभी चुप चाप बैठी ही थी। पार्वती को ये देख कर बहुत गुस्सा आया और पार्वती चिल्लाकर बोली – अभी तक तुमने खाना बनाना शुरू भी नहीं किया हैं, जल्दी बनाओ खाना सबको भूख लगी है।
उस औरत ने कुछ भी जवाब नहीं दिया और चुपचाप अपना चेहरा ढक कर बैठी थी। पार्वती ने कितने बार उसका चेहरा देखने की कोशिश की लेकिन देख नहीं पा रही थी।
पार्वती ने फिर उससे कहा चलो अब जल्दी से खाना बना लो, अगर किसी चीज की जरुरत पड़ी तो मुझे बुला लेना। लेकिन फिर भी वो कुछ नहीं बोली।
पार्वती को लगा की शायद ये अनजान लोग से डर रही हैं इसलिए नहीं बोल रही हैं। पार्वती रसोई से चली गयी लेकिन जब 10 मिनट बाद वह फिर जब वापस आयी तो रसोई का दृश्य देख कर डर गई, उसके पैर वहीँ जम गए, और उसके गले से आवाज भी नहीं निकल रही थी।
उसने देखा की वह पार्वती ने धीरे से एक थाली उठाई और चूल्हे में जलता हुआ कोयला उठाकर उसके तरफ दौड़कर उस डायन के ऊपर गर्म कोयला फेक दी। आग की जलन की वजह से वह जोर जोर से चिल्लाने लगी।
औरत, रसोई घर के बीचो – बीच में बैठ कर, दोनों पैर फैलाकर, कच्ची मच्छलिया खा रही हैं। उसके सिर का घूँघट भी उतरा हुआ था। उसका चेहरा बेहद डरावना था। (Ek Thi Daayan)
बाल बहुत बड़े बड़े और सफ़ेद थे, नाख़ून भी बहुत काले थे। वो मछली खाने में इतनी व्यस्त थी की वो पार्वती को देख ही नहीं रही थी। पार्वती उसे देख कर चिल्लायी नहीं की और ज्यादा अपना ख़तरनाक रूप ना बना ले।
पार्वती ने धीरे से एक थाली उठाई और चूल्हे में जलता हुआ कोयला उठाकर उसके तरफ दौड़कर उस डायन के ऊपर गर्म कोयला फेक दी। आग की जलन की वजह से वह जोर जोर से चिल्लाने लगी।
उस डायन की आवाज इतनी तेज थी की उसे सुनकर सारा गांव इकठ्ठा हो गया। पार्वती ने उसे आग दिखा दिखा कर अपने घर से बाहर की। वह आग की डर से सीधा जंगल की ओर भाग गई। फिर वापस उस गांव में कभी नहीं आयी।
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