जिसका काम उसी को साजे ( jiska kaam usi ko saaje ). यह एक मुर्ख सियार की कहानी है। किसी घने जंगल में, एक शेर अपने परिवार के साथ एक बड़ी सी गुफा में रहता था।
शेर की गुफा के पास ही एक सियार अपने परिवार के साथ रहता था। शेर जब भी कोई शिकार कर के अपने परिवार के लिए किसी जानवर को लाता, तो उसके खाने के बाद जो बचता, सियार उसे चुपके से उठा ले जाता, इस तरह शेर की वजह से सियार के घर वालो का भी पेट भरता रहता।
Jiska Kaam Usi Ko Saaje
काफी दिन बीत जाने के बाद एक दिन शेर शिकार पे नहीं गया, तो सियार छुप कर शेर की गुफा के पास पहुंचा ये पता करने के लिए की आज शेर शिकार पे क्यों नहीं गया।
जैसे सियार शेर की गुफा के पास पहुंचा उसने देखा की शेर तो मजे में सोया है, थोड़ी देर बाद ही शेरनी वह आयी और शेर को उठाते हुए बोली आज शिकार पे क्यों नहीं गए, बच्चे भूखे है जल्दी जाओ और किसी जानवर को मारकर लाओ।
तब जा के शेर तन के उठा और शेरनी को बोला, बताओ मेरे मूँछ के बाल खड़े है ? शेरनी ने कहा – हाँ। शेर ने फिर पूछा क्या मेरे चेहरे पे ग़ुस्सा नजर आ रहा है ? शेरनी ने फिर जवाब दिया – हाँ।
शेर ने फिर पूछा क्या ग़ुस्से के मारे मेरी आंखे एक दम लाल है ? शेरनी ने जवाब दिया हाँ, आपकी आंखे एक दम लाल हो चुकी है। इतना सुनते ही शेरे एक दम से दहाड़ मारते हुए गुफा से बहार निकला, और एक दम ग़ुस्से में एक बड़े से हिरण को मार के ले आया।
सियार ये सब देख रहा था, उसने सोचा शायद शिकार करने का यही तरीका होता है, इसी तरीके से शेर शिकार करता है, अब मै भी इसी तरीके से शिकार करूंगा, अब इस शेर के भरोसे नहीं रहना मुझे।
इसके बाद सियार अपने परिवार वालो के पास पंहुचा, जहाँ सियारिन उसका इंतजार कर रही थी की सियार कुछ खाने को लाता होगा। सियार को खाली हाँथ आता देख सियारिन ने पुछा आज खाने को कुछ नहीं मिला क्या ? खाली हाँथ क्यों आ गए ?
ये बात सुन के जोर से हँसा और बोला अब खाने के लिए हमे किसी के भरोसे रहने की कोई जरूरत नहीं, क्यों की मुझे शिकार करने का मंत्र मिल गया है। अब मैं अब खुद ही शिकार कर सकता हूँ, बस मैं तुमसे जो भी पूछूँ उसका जवाब तुम हाँ में देना।
फिर सियार भी तन के खड़ा हो गया उसने सियारिन से पूछा बताओ मेरे मूँछ के बाल खड़े है ? सियारिन ने उसके मूँछ की तरफ देखा और कहा – आपके तो मूँछ ही नहीं है, इतना सुनते ही सियार गुस्से में बोला, मैंने तुझे समझाया था की हर बात का जवाब हाँ में देना पर तू सब गलत ही कर रही है।
अगले सवाल का जवाब तूने हाँ में नहीं दिया तो मैं तुझे घर से निकल दूंगा। सियारिन डर गई , सियार ने फिर पूछा बता मेरे चेहरे पे ग़ुस्सा नजर आ रहा है ? सियारिन ने बोला – हाँ। सियार खुश हुआ और अगला सवाल पूछा, अब बता क्या ग़ुस्से से मेरी आंखे एक दम लाल हो चुकी है ? सियारिन ने कहा – हाँ।
बस इतना सुनते ही सियार ने छलांग मारते हुए अपने गुफा से बहार निकला और उसके एक भैंसा दिखा, सियार भैंसे की तरफ दौड़ा और उसके ऊपर झपट्टा मारते हुए गर्दन पकड़ना चाहा।
भैंसे ने उसे जोर से झटका दिया तो सियार नीचे गिर गया। गुस्साए भैंसे ने उसे अपने सींग से उठाया और सामने के चट्टान पे पटक दिया, सियार बेचारा अधमरा हो गया, फिर भैंसा वहाँ से चला गया। थोड़े देर बाद जब सियार को होश आया तो गिरते – पड़ते वो अपने घर पंहुचा, वहाँ सियारिन को सारा हाल बताया।
तब सियारिन ने उसे समझाया कि बिना कुछ सोचे समझे किसी कि नक़ल नहीं करनी चाहिए। शेर जंगल का राजा होता है, वह बहुत शक्तिशाली है तुम उसकी बराबरी कभी नहीं कर सकते। जिसकी जितनी छमता हो उसी के अनुसान काम करना चाहिए। दूसरो की नक़ल करने पे यही दुर्दशा होती है। इसलिए कहते है, Jiska Kaam Usi Ko Saaje
अवलोकन : inhindistory.com द्वारा सुनाई गई, जिसका काम उसी को साजे ( jiska kaam usi ko saaje) ये कहानी आपको कैसी लगी, हमें comment कर के जरूर बताये।