यह कहानी है Bhooti Ka Khooni Badla के बारे में। बहुत साल पहले की बात हैं। एक गांव में राजवीर नाम का एक अमीर आदमी रहता था। उसकी उम्र लगभग तीस पैतिस साल थी, उसे जंगल में शिकार करने का बहुत शौक था।
एक दिन वो एक घने जंगल में शिकार करने के लिए गया। शिकार करते करते कब रात हो गई पता ही नहीं चला। जब रात हो गई तो रात भर रुकने लिए कोई अच्छा सा जगह ढूढ़ने लगा।
उस जंगल के बाहर एक बहुत बड़ा बंगला था, और उसमे भी एक शम्भू नाम का अमीर आदमी रहता था। और उसे भी शिकार करने का बहुत शौक था। वह रोज सुबह शिकार पर जाता और शाम को अपने बँगले पर आता और रात को दारू पी कर सो जाता।
रोज का उसका यही दिनचर्या था। उस बँगले का रखवाली करने के लिए एक नौकर रखा था, जिसका नाम रामु था। रामु अपने परिवार के साथ उसी बंगले में रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक सोलह-सतरह साल की बेटी थी।
उसकी पत्नी और बेटी खाना बनाने का काम करती थी और रामु रखवाली का काम करता था। जब कभी उसके रिस्तेदार वहाँ रुकने आते तो ये तीनों उनलोगों की बड़ी लगन से सेवा भाव करते थे।
भूतनी का खुनी बदला Bhooti Ka Khooni Badla
शाम का समय था। राजवीर अंदर गया और देखा की शम्भू आराम से बैठ कर दारू पी रहा था। वह उसके पास जाकर वहा कुछ दिन रहने की आज्ञा मांगा, शम्भू हाँ बोल दिया और फिर दोनों मिलकर दारू पिने लगे।
फिर ये दोनों अच्छे दोस्त बन गए और राजवीर कई दिनों तक वही पर रहा और ऐसे ही उनकी एसो आराम की जिंदगी चलने लगी। रामु की एक सोलह-सतरह साल की एक बेटी थी।
एक शाम उसका मालिक शम्भू और राजवीर शिकार करके दोनों वापस आये और नहा -धोकर दारू पिने बैठ गया। पिने के बाद उन दोनों को इतना नशा लग गया की रामु की जवान बेटी पर अपनी गंदी नजर डालने लगे, वे दोनों उसके पास गये और उसके बेटी के कपड़े को फाड़ने लगे।
उसकी बेटी जब डर के मारे रोने – चिलाने लगी तो अपनी बेटी की आवाज सुनकर रामु और उसकी पत्नी वहाँ उसको बचाने आये तो शम्भू उनदोनो को गोली मार कर वही पर उनकी हत्या कर दिया।
और फिर ये दोनों उसके बेटी को नोच नोच कर अधमरा बना दिया और अंत में उसको भी गोली मार कर मार डाला। और तीनो के लाश को अपने बंगले के पीछे रातो रात दफना दिया। अगले दिन इस बात को किसी को भी भनक तक भी नहीं लगी।
कुछ दिन के बाद शम्भू ने फिर एक नरेश नाम का नया नौकर रखा। नरेश जब पहले दिन बँगले पर आया और अपने काम में लग गया।
किसी को कुछ भी पता नहीं चला की इस बंगले के पुराने नौकर और उसके परिवार के साथ क्या हुआ और वो कहा चले गए।
ऐसे ही कुछ दिन बीतने के बाद, नया नौकर नरेश गेट बंद कर के सोया हुआ था। तभी अचानक आधी रात को किसी की रोने आवाज आयी और नरेश की नींद खुल गई।
उसने एक हाथ में लाठी और दूसरे हाथ में टॉर्च लिया और गेट के पास जाकर बोला- कौन हैं वहाँ जो इतनी रात गए रो रहा हैं। उसने देखा की गेट के नजदीक बैठी एक लड़की रो रही हैं।
नरेश उसके पास गया और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा – बेटी रो मत, मेरे साथ अंदर चल।फिर वह लड़की अंदर आयी।
नरेश ने उसे पिने के लिए पानी दिया और पूछा – बेटी तुम कौन हो, कहा से आयी हो और इतनी रात को अकेले इस घने जंगल में क्यों भटक रही हो।
नरेश की इतनी बातें सुनकर वह लड़की और तेज तेज से रोने लगी। कुछ देर बाद वो शांत हुई और नरेश को बताई की इस बंगले के पहले नौकर रामु की बेटी हैं।
फिर उसने यह भी बताया की कैसे इस बँगले के मालिक शम्भू और राजवीर ने उसके माता और पिता को मार डाला। और फिर अपनी प्यास बुझाने के लिए मेरे शरीर को नोच नोच कर मुझे भी मार डाला।
फिर हम तीनो के लाश को इसी बंगले के पीछे दफना दिया। उस लड़की की इतनी सी बात सुनकर नरेश डर गया और उसके डर के मारे पसीने निकलने लगे।
फिर थोड़ी देर बाद हिम्मत रखते हुए उससे पूछा – ऐसे कैसे हो सकता हैं, अगर तू मर गई हैं तो मेरे सामने कैसे बैठी हैं? नरेश की यह बात सुनते ही वह भूतनी लड़की अचानक गायब हो गई, और थोड़ी ही देर बाद उसी कमरे के दीवाल पर उल्टा लटक गई।
नरेश यह सब देख कर पूरी तरह से थरथराने लगा। फिर अचानक वह लड़की नरेश के सामने आकर बैठ गई, और बोली – चाचा, आप डरिये मत।
मैं आपके साथ कुछ भी बुरा नहीं करुँगी। उसकी बातें सुनकर नरेश का डर धीरे धीरे शांत हो गया और माथे पर आये पसीने को अपने गमछे से पोछ लिया।
फिर उसी रात को उस लड़की ने नरेश को वह जगह दिखाई जहाँ उन तीनों को दफनाया गया था। नरेश ने कुदाल से खोदकर उनतीनो ने अस्थियो को निकला और फिर उस लड़की से वादा किया की वह उसका मालिक शम्भू और राजवीर के खिलाफ कोर्ट जायेगा और उस लड़की को इंसाफ दिलवाकर रहेगा।
नरेश की बातें सुनकर वह भूतनी लड़की रोते हुए बोली की चाचा, आपको कुछ नहीं करना हैं। उस राक्षस से बदला तो मैं लुंगी बस आप मेरी थोड़ी सी मदद कर दीजिये।
फिर क्या उस भूतनी लड़की के बताये अनुसार नरेश ने बीमारी का बहाना बनाकर उस बंगले की नौकरी छोड़ दी और उस लड़कि से किये हुए वादे के अनुसार उसके माता पिता के अस्थियो को जला दिया और उनदोनो के नाम पर पूजा – पाठ भी करवाया।
उनदोनो की मुक्ति हो गई लेकिन लड़की के कहे अनुसार नरेश ने ना लड़की के अस्थि को जलाया और ना ही उसके क्रिया कर्म के लिए कोई पूजा – पाठ ही किया।
क्योंकि उस भूतनी लड़की ने कहा था की अगर उसके लिए भी पूजा पाठ हो गई तो वह इस भूतही शरीर से मुक्त हो जाएगी, और फिर उस दरिंदो से अपना बदला नहीं ले पायेगी।
समय बीतता गया। कुछ महीने बाद शम्भू ने फिर एक नया नौकर ढूंढ़ने की कोशिश करने लगा लेकिन उस बंगले में कोई दूसरा नौकर आने को तैयार ही नहीं होता।
क्योंकि नरेश दिन रात वही घूमता फिरता रहता और नए आने वाले नौकर को उस बँगले की भूत वाला कहानी सुना कर भगा देता।
कभी कभी वह भूतनी लड़की भी आनेवाले नए नौकर को भूत बन कर रात के समय में अजीब अजीब आवाजे निकल कर डरा देती और वे डर के मारे भाग जाते, फिर दूसरे दिन रखवाली करने नहीं आते।
उस बँगले पर ऐसे ही रोज कितने शिकारी आते, दारू पीते, मौज मस्ती करते लेकिन जिन्दा वापस कभी नहीं जाते। क्योंकि वहाँ आने वाले हर शिकारीयों से उसको सख्त नफ़रत हो गया था।
कभी कभी वो लड़की एक सुन्दर रूप बनाकर जंगल में जाती और दूसरे शिकारियो को अपने जाल में फसाती और शाम को उस बंगले में ले आती और रात को अपने असली रूप में आ जाती और उसे उसे चिर फाड़ कर मार डालती और उसका खून पी जाती।
ऐसी घटना कितने दिनों तक चलता रही, और बंगले में मरने वाले शिकारीयों के मौत एक रहस्य ही बनी रही। अगल-बगल के लोगों के लाख कोशिश करने के बाद भी न हत्यारा पकड़ में आता और ना ही उनके लाश।
धीरे धीरे यह खबर आस-पास के क्षेत्रो में फ़ैल गई की जंगल के पुराने बँगले में ठहरने वाले हर शिकारी की मौत हो रही हैं।पाँच-छः वर्ष बीत गए और अब वह बंगला खंडहर हो गया था। ( Bhooti Ka Khooni Badla )
क्योंकि अब किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी की वहाँ रात को ठहरे, आखिर किसको अपनी जान की परवाह नहीं होती। ऐसे ही बहुत दिन बीत गया और वो भूतनी उसी बंगले में रहकर अपने हत्यारे का इंतजार करती थी।
दिन में उधर आने जाने वाले लोगों को एहसास होता था, क्योंकि वह हमेशा रोती रहती थी पर किसी को दिखाई नहीं देती थी।
फिर उसने शहर और गांव में घूम-घूम कर ढूंढ़ने की कोशिश करने लगी। दो-चार दिन की मेहनत के बाद एक गांव में अपने दोनों हत्यारे शिकारी को पहचान ली।
और उसी दिन शाम के समय एक बहुत सुन्दर लड़की की रूप बनाकर उसके पास गई और दोनों को अपने सुंदरता में फसा लिया।
ऐसे उसने दो तीन दिन लगातार उनलोग से मिलती रही। और पूरी तरह से अपने जाल में फसा ली। वे दोनों उसके आगे पीछे घूमने लगे, जैसा बोलती थी वैसा वे दोनों करते थे।
फिर एक दिन लड़की बोली क्यों न हम लोग किसी दिन जंगल में शिकार पर चले? वे दोनों बोले – ये तो बहुत अच्छी बात हैं चलो। दोनों अच्छी तरह से उसकी माया – जाल में फस चुके थे। फिर दूसरे दिन ये तीनों जंगल की ओर निकल पड़े।
दिनभर शिकार के साथ साथ मौज मस्ती भी किये। फिर शाम होने लगी। शम्भू और राजवीर उस लड़की बोले – अब सूर्य ढलने लगा हैं और थोड़ी देर में रात हो जाएगी हमें घर वापस चले जाना चाहिए।
तभी भूतनी बोली – डरो मत! आज रात हम यही ठहर कर जंगल का आनंद लेंगे। राजवीर बोला – यहाँ कैसे रुक सकते हैं यहाँ तो आसपास कोई घर भी नहीं है।
भूतनी उसकी बात सुनी तो मुस्कुराने लगी और बोली – तुम लोग चिंता मत करो मेरे एक दोस्त का इसी जंगल एक छोटा सा घर हैं, हम वहाँ पर रुक जायेंगे। ( Bhooti Ka Khooni Badla )
दोनों उस भूतनी का बात मान लिए ओर उसके कहने पर वहाँ चले गए। रात को पार्टी शुरू हुई। अब भूतनी अपनी डरावनी और भयंकर रूप में उनदोनो के सामने आयी।
उसको इस रूप में देख कर दोनों के पसीने निकलने लगे। ऐसा रूप देख कर अच्छे अच्छे की पैंट गीली हो जाती हैं फिर वो क्या चीज थे।
फिर भूतनी ने ग्लास में जूस के बजाय खून भरकर उनदोनो दुष्टो को पिलाना शुरू किया। अब उनकी हिम्मत ही नहीं थी की उसको ना कहे क्योंकि वे पूरी तरह से डरे हुए थे और काँप रहे थे।
उसके बाद वो भूतनी अपना और ज्यादा विकराल रूप बनाकर उनदोनो पर कूद पड़ी और अपने बड़े बड़े नाखुनो से उसके शरीर को चीर दिया और उसके खून को पीने लगी। फिर उसके दोनों आँखो को निकाल कर खा गई और इसके बाद उसे एक पत्थर पटक पटक कर दोनों को मार डाली।
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अवलोकन – मुझे आशा है कि आपको यह भूतनी का खुनी बदला (Bhooti Ka Khooni Badla) की कहानी अच्छी लगी होगी! आपको ये कहानी कैसी लगी हमें comment कर के जरूर बताये.