यह कहानी है भूतिया अस्पताल (Bhutiya Hospital) की। सिलमपुर नाम का एक था। उस गांव में गोपी नाम का एक किसान रहता था। उसके दो बेटे और एक बेटी थी।
वे लोग रोज रात को खाना खाने के बाद अपने दादा जी से कहानियाँ सुना करते थे। उसके दादा जी भी बच्चों को अच्छी अच्छी कहानियाँ सुनाया करते थे, इससे उनका भी मन लगा रहता था।
भूतिया अस्पताल (Bhutiya Hospital)
एक दिन उन्होंने बच्चों को एक भूत वाली डरावनी कहानी सुनाने लगे। उन्होंने बताया की मैं आज तुमलोगो को जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ वह बहुत ही डरावनी और सच्ची घटना पर आधारित हैं।
यह कहानी हमारे ज़माने की एक अस्पताल की हैं जो करीबन 200 साल पुराना था। उस भूतिया अस्पताल (Bhutiya Hospital) के ठीक बगल में ही एक कब्रिस्तान था।
उस अस्पताल में आज से 80 साल पहले एक लड़की तड़प तड़प कर कर गयी थी। और मरने के बाद भूत बन कर हर दिन किसी न किसी को मारती थी। रात के समय में जो भी उस रास्ते से होकर जाता था, वो कभी भी वापस अपने घर नहीं जाता था।
एक दिन हमारे गांव के 2 लड़के नीरज और गोलू बाजार कुछ सामान लेकर लौट रहे थे। वे दोनों साईकिल से थे और घर आते आते रास्ते में ही रात हो गयी थी।
गोलू ने नीरज से कहा की Bhutiya Hospital वाले रास्ते से चलते हैं जल्दी घर पहुंच जायेंगे। तभी नीरज ने कहा- नहीं भाई उस रास्ते से जाना सही नहीं होगा। उस रास्ते में भूत रहता हैं।
गोलू बिलकुल भी भूत में विश्वास नहीं करता था और नीरज को जिद करके उस रास्ते पर चलने के लिए कहने लगा। नीरज उसकी बात मान ली और दोनों अस्पताल वाले रास्ते में चल दिए।
उस समय रात के 10 बज चुके थे। भगवान का नाम लेकर वे दोनों उस रास्ते पर चल दिए। चारों तरफ से अंधेरा हो चूका था सामने कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
जैसे ही वे दोनों आगे गए। रास्ते में कीचड़ पड़ा हुआ था अँधेरे में उनलोग को दिखाई नहीं दिया और साईकिल लेकर वे दोनों गिर गए। थोड़ी बहुत चोट लग गयी थी लेकिन फिर भी उन्होंने जल्दी से अपना साईकिल उठाया और गांव की ओर चल दिए। क्यो की भूत का डर भी था की कही से आ न जाये।
वे लोग थोड़ी ही दूर गए थे की उन लोग के साईकिल का टायर पंचर हो गया। नीरज बोला – भाई मुझे तो लग रहा हैं इस जगह में कुछ तो गड़बड़ हैं हमलोग वापस लौट चलते हैं। लेकिन गोला बोला बोला ऐसा कुछ नहीं चलो चुप चाप कुछ गड़बड़ नहीं हैं। फिर वो दोनों आगे बढ़ गए।
फिर कुछ दूर गए तो किसी छोटे बच्चे की रोने आवाज सुनाई देने लगी। इसबार गोलू भी बहुत डर गया था। उसने निरज से कहा – तुम्हे किसी बच्चे की रोने आवाज़ सुनाई दे रही हैं क्या ? नीरज बोला – नहीं भाई।
लगता हैं किसी जानवर के रोने की आवाज होगी। फिर उस आवाज को अनसुनी करके दोनों आगे चल दिए। कुछ देर बाद फिर वो आवाज सुनाई देने लगी। दोनों एकदम बुरी तरह से डर गए थे और वे लोग अपना कदम तेजी से गांव की ओर बढ़ाने लगे।
थोड़ा आगे चलने पर एक पीपल के पेड़ के निचे एक बूढ़ी औरत दिखाई दी। उसके सफ़ेद बाल सफ़ेद साड़ी और डरावनी आँखे थी। उसे इतनी रात को अकेली औरत को देख कर उनलोग के रोंगटे खड़े हो गए थे।
उन्होंने पीछे मूड कर देखने का सोचा तभी वो बुढ़िया आवाज लगाई – रुको बेटा! मेरी थोड़ी मदद करो, मुझे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा हैं। (Bhutiya Hospital)
तुमलोग मुझे उस हाईवे तक का रास्ता दिखा दोगे क्या। उनलोग ने डरते डरते उस बूढ़ी औरत के नजदीक जाकर उससे पूछते हैं। कहा से आ रही हैं आप वो भी इतनी रात को। तो उस बुढ़िया ने कहा की मैं पड़ोस के गांव की रहने वाली हूँ, मेरे पास कोई भी साधन नहीं था इसलिए मैं पैदल ही चल पड़ी।
अब रात हो गयी हैं और अंधेरा भी छा गया हैं कुछ दिखाई नहीं दे रहा हैं बेटा! तुमलोग मुझे उस गांव तक छोड़ दोगे तो बड़ी मेहरबानी होंगी।उनदोनो ने उस बुढ़िया के बात पर विश्वास कर लिया और उसे अपने साथ लेकर निकल पड़े नीरज और गोलू आगे थे और वो बुढ़िया पीछे चल रही थी । (Bhutiya Hospital)
रास्ते में वो बूढ़ी औरत उनलोग से सारी बाते पूछने लगी, की तुमलोग कहा के रहने वाले हो और कहा जा रहे हो। फिर ऐसे ही बाते पूछते पूछते उनलोग को दूसरे रास्ते में ले जाना चाहती थी।
लेकिन वो लोग तो पहले से डरे हुए थे रात भी बहुत हो गयी। और उनलोग को जल्दी अपने घर भी जाना था इसलिए बुढ़िया के बात का ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे थे।
कुछ देर चलने के बाद नीरज बोला – लो दादी आपका गांव आ गया अब आप अपने घर चले जाइये। और वो जैसे ही पीछे मूड कर देखा तो वहाँ कोई नहीं था। वो दोनों की हालत ख़राब हो गयी डर के मारे थर थर कापने लगे और वही अपना साईकिल पटका और दौड़ कर भागने लगे।
भागते भागते भूतिया अस्पताल के पास कब्रिस्तान तक पहुंच गए। रात के 12:30 बज चूका था। वे लोग पसीने से तर-बतर हो गए थे। और कब्रिस्तान पार कर जल्दी से अपने घर चले गए।
उनलोग को लेकर घर वाले भी बहुत परेशान और चिंतित थे। फिर उनदोनो ने अपने घरवाले को सारी बाते बताई जो उनके साथ हुआ था। और तब से रात के समय में उस रास्ते से कभी नहीं जाने का फ़ौसला किया।
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अवलोकन : Bhutiya Hospital की कहानी आप लोगो को कैसी लगी हमें कमेंट कर कर जरूर बताये।