यह यह भूतिया कुर्सी की कहानी हैं। ( bhutiya kursi ki kahani ) कल्याणपुर नाम का एक गांव था। उस गांव से थोड़ी ही दूरी पर एक बहुत ही घना और डरावना जंगल था। रात के समय जो भी उस जंगल से होकर गुजरा वो कभी भी वापस नहीं आया।
उसी जंगल में एक बहुत ही सिद्ध तांत्रिक बाबा रहता था। उसे तंत्र मंत्र के अलावा और कोई भी काम नहीं आता था। वह उस जंगल में रहकर भूतों से बात करता था। और उनको अपने वस में कर लिया था।
Bhutiya Kursi Ki Kahani (भूतिया कुर्सी)
कभी कभी गांव में किसी की तबियत ख़राब होती थी, तो वो लोग उसके पास जाते थे। और वह तांत्रिक अपने तंत्र मंत्र से उनलोग को ठीक कर देता था। गांव के लोगो को उस तांत्रिक पर बहुत विश्वास हो गया था।
उनलोगो को लग रहा था, की तांत्रिक हमारा और हमारे गांव का रक्षक बन कर आया हैं। लेकिन उन्हें पता नहीं था वह तांत्रिक अपने जादू मंत्र से धीरे धीरे गांव के एक एक आदमी को गायब कर रहा था।
तांत्रिक ने अपने पास एक कुर्सी राखी थी। वो कोई मामूली कुर्सी नहीं थी। जब भी वो पूजा-पाठ करता था, उसी कुर्सी पर बैठ कर करता था। ताकि वह सिद्ध तांत्रिक बन सके और जो चाहे, वह कर सके।
कुछ समय बाद गांव में हड़कंप मच गया की आखिर हमारे गांव के लोग धीरे धीरे कहा गायब हो रहे हैं। फिर उन्हें उस तांत्रिक बाबा पर शक हुआ और एक दिन गांव के कुछ लोग उस जंगल की ओर चल दिए। ये पता करने के लिए की आखिर हमारे गांव के लोग अचानक गायब कहा हो जाते हैं।
वे लोग धीरे धीरे जंगल के बहुत अंदर चले गए। जंगल एकदम घना और डरावना था। थोड़ी ही दूर आगे जाने के बाद, उन्हें एक रौशनी जलती हुई नजर आयी। फिर वे लोग वहाँ जाते हैं और देखते हैं की वह तांत्रिक एक बहुत ही पुरानी कुर्सी पर बैठा हैं।
और वह तांत्रिक अपने पैर के नीचे एक आदमी को दबा के रखा हैं। जो की बेहोस हालत में था। जब गांव वाले उसके नजदीक गए तो पहचान लिए की ये तो हमारे गांव का आदमी हैं। जिसको हमलोग सुबह से ढूंढ़ रहे थे।
गांव वालो को देख कर तांत्रिक वहाँ से भागने लगा। तभी गाव के सारे लोग, उसे चारों तरफ से घेर कर पकड़ लिए। और एक पेड़ से बांध दिए। फिर पुरे जंगल में आग लगा दिए और उस आदमी को ले के अपने अपने गांव लौट गए।
अब उस तांत्रिक ने देखा की गांव वालो ने जंगल में आग लगा दी हैं, अब तो मैं नहीं बचूंगा। वह बहुत चिल्लाया मुझे बचाओ, मुझे बचाओ, लेकिन उसे कोई बचाने नहीं आया, और धीरे धीरे आग की लपटे तांत्रिक के पास गई और वह आग में जल के मर गया।
लेकिन उसकी कुर्सी जैसी थी वैसी ही रही। उसे एक आँच तक नहीं लगी। क्योंकि तांत्रिक ने उस कुर्सी को जादू मंत्र से बनाया था। यह बात किसी को भी पता नहीं चला की वह तांत्रिक मरने के बाद भी नहीं मरेगा।
गांव वाले अब ख़ुश थे की अब हमें किसी भी बात का डर नहीं हैं। कुछ समय बीतने के बाद, एक दिन गांव का एक आदमी, दोपहर के समय अपने खेत में काम कर रहा था। गर्मी का दिन था और उसे बहुत जोर से प्यास लगी थी।
वह पानी पी के थोड़ा आराम करने के लिए उसी जंगल में चला गया जहाँ तांत्रिक रहा करता था। वहा जाकर देखा की एक बहुत सुंदर कुर्सी रखी हुई हैं। वह देखने में बहुत लुभावनी कुर्सी लग रही थी। मगर वह एक भूतिया कुर्सी ( bhutiya kursi ki kahani ) थी।
वह आदमी उसे लेकर अपने घर आ गया। उस कुर्सी को देखते ही मन एक दम ख़ुश हो जाता था। उसके घर वाले भी कुर्सी को देख कर ख़ुश हो गए। उसे नहीं पता था की वह अपने घर कुर्सी नहीं, बल्कि अपनी मौत लेकर आया हैं।
जैसे ही वह कुर्सी पर बैठा तभी कुर्सी ने उसे पकड़ लिया। उसके घर वालो ने बहुत कोशिश की लेकिन उसे भूतिया कुर्सी से उठा नहीं पाए। देखते ही देखते यह बात पूरे गांव में आग की तरह फ़ैल गई।
गांव के लोगो ने भी बहुत कोशिश की उसे, उस भूतिया कुर्सी से अलग कर सके, लेकिन वो लोग भी असफल हो गए। उसे काटने और तोड़ने की भी कोशिश की लेकिन उस भूतिया कुर्सी का कुछ नहीं हुआ। थोड़ी देर बाद गांव वालो के सामने ही उस भूतिया कुर्सी में अपने ही आग लाग गयी।
देखते ही देखते वो भूतिया कुर्सी जाल कर राख हो गई और वो आदमी तड़प तड़प कर मर गया। उसके मरते ही वो आदमी और उसकी जाली हुई राख सब के सब गायब हो गया। ऐसा लग रहा था की यहाँ कुछ हुआ ही नहीं हैं।
तब से ऐसी घटना, हर दो या तीन दिन पर गांव मे होती गयी। कभी कुर्सी तो कभी टेबल, तो कभी खटिया बनकर लोगो को लुभाता रहा और उन्हें तड़पा तड़पा के मारता रहा। उस कुर्सी वाले भूत ने गांव में इतना दहसत फैला दिया की सभी लोग गांव छोड़ने के लिए सोचने लगे।
फिर एक आदमी ने इस सब से बचने का उपाय किया। वह एक साधु बाबा के पास गया और अपने गांव में होने वाली सारी घटना के बारे में बताया।
दूसरे दिन सुबह सुबह ही वो साधु बाबा, उस गांव में आये और सबको अपने अपने घर से घी, चावल और लाल कपड़ा लेकर आने को कहा।
साधु बाबा ने उस गांव के चौराहे पर एक पूजा करवाई। साधु बाबा ने सुबह से लेकर शाम तक उस पूजा में हवन किया और सभी लोगो को उस लाल कपड़े में थोड़ा थोड़ा चावल डाल कर दिए और बोले, की इस कपडे को सब अपने घर के दरवाजे पर लटका देना।
अब से कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा। सारे लोग ऐसे ही किये जैसे साधु बाबा ने बताया था। उस दिन से उस भूत ने किसी का कुछ नुकसान नहीं किया। और गांव के लोग बिना डर के अच्छे से रहने लगे।
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अवलोकन – भूतिया कुर्सी मुझे आशा है कि आपको यह ( Bhutiya Kursi Ki Kahani ) भूतिया कुर्सी की कहानी अच्छी लगी होगी! आपको ये कहानी कैसी लगी हमें comment कर के जरूर बताये।